Saturday, 26 April 2014

राष्ट्र पहले

आज बहुत आवश्यक हो गया है की हम धार्मिक होने से अधिक
राष्ट्रवादी बनें ! क्योंकि जब सुन्दर और सुदृढ़ राष्ट्र हमारे पास
होगा तभी हमारा धर्म परवान चढ़ेगा और सच्चे अर्थों में हम
धार्मिक हो पायेंगे । अगर राष्ट्र ही अस्त व्यस्त और अस्थिर होगा
तो कदापि धर्म जीवित नहीं रह पायेगा इस इस छोटे से सूत्र में बहुत
गंभीर अर्थ छिपा है जिसे समझने की आज नितांत आवश्यकता है ।

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